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Mira Road Murder: लिव इन पार्टनर की हत्या के बाद लाश कटर से काटी, फिर कूकर में उबाला, कुछ टुकड़े बाल्टी में भी रखे, आरोपी मनोज साने का कबूलनामा

Mira Road Murder Case: मीरा रोड मर्डर केस में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, मनोज साने ने लिव इन पार्टनर की हत्या कर सबूत मिटाने के लिए शरीर के टुकड़े किए.

 

Mira Road Murder Case: महाराष्ट्र के ठाणे के मीरा भायंदर इलाके में लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही महिला की हत्या के मामले में गुरुवार (8 जून) को नया खुलासा हुआ. एबीपी न्यूज़ के पास इस मर्डर केस की एफआईआर कॉपी है. इसके मुताबिक, आरोपी मनोज साने ने कबूल किया कि उसी ने अपनी पार्टनर सरस्वती वैद्य का मर्डर किया.

F.I.R. में बताया कि पुलिस ने सोमेश श्रीवास्तव, गणेश बालाजी तेलगी और वैभव सुभाष तेलगी (पड़ोसी) की मदद से दरवाजे की कुंडी तोड़ी और फिर अंदर घुसे. बदबू आने की वजह से सबसे पहले पुलिस ने हॉल, बेडरूम और टॉयलेट समेत दोनों बेड की तलाशी ली. पुलिस को एक बेड पर काले रंग की प्लास्टिक और एक इलेक्ट्रिकल कटर मशीन मिली, जिस पर कि खून लगा था.

 

क्या 30 सितंबर के बाद 2000 रु. के नोट रखने पर होगी कानूनी कार्रवाई? RBI का जवाब

RBI ने शुक्रवार को एक चौंकाने वाला फैसला लिया. उसने अचानक 2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा कर दी. आरबीआई ने कहा है कि लोग 23 मई से लेकर 30 सितंबर तक 2 हजार रुपये के नोटों को खातों में जमा कराएं या बैंकों में जाकर बदल लें. बैंकों के अलावा लोग आरबीआई के 19 क्षेत्रीय कार्यालयों में भी 2 हजार रुपये के नोट बदल सकते हैं. इसके अलावा लोग केवाईसी और अन्य जरूरी मानदंडों के बाद बैंक खातों में भी ये नोट बिना किसी रुकावट के जमा करा सकेंगे. हालांकि आदेश में यह नहीं स्पष्ट किया गया है कि वह कितने रुपये अपने खाते में जमा कर सकेगा. वहीं खाताधारक बैंकिंग कॉरस्पॉन्डेंट के जरिए हर दिन 4,000 रुपये तक दो हजार के नोट एक्सचेंज कर सकेंगे.

आरबीआई ने कहा है कि 2,000 रुपये के नोट 30 सितंबर तक वैध रहेंगे. हालांकि RBI ने यह नहीं बताया कि अगर लोग 30 सितंबर तक 2,000 रुपये के नोट नहीं जमा कर पाते हैं तो ऐसी स्थिति में क्या होगा. ऐसी स्थिति में नोट को बैंकों में एक्सचेंज/डिपॉजिट नहीं किया जा सकेगा. इसके अलावा सूत्रों ने कहा कि समय सीमा के बाद लोगों के पास 2000 रुपये  के नोट मिलने पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी. इससे पहले, सरकार ने 500 रुपये और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को जमा करने की समय सीमा खत्म होने के बाद इन नोटों को रखना अपराध बना दिया था.

 

अजमेर सेक्स कांड: 100 से अधिक लड़कियों का बलात्कार और 31 साल बाद खूनी बदला

 

जयपुर: वर्ष 1992 में राजस्थान के अजमेर में देश के सबसे बड़े बलात्कार कांड का भंडाफोड़ हुआ था। इस वीभत्स और हैरतअंगेज़ कांड को कवर करने वाले पत्रकार मदन सिंह की उसी साल हत्या कर दी गई थी। अब लगभग 30 वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद 7 जनवरी 2023 को इस दिवंगत पत्रकार के दो बेटों ने एक शख्स को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार​ दिया और चीख-चीखकर बताया कि उन्होंने अपने पिता की मौत का बदला लिया है।

 

रिपोर्ट के अनुसार, दिवंगत पत्रकार मदन सिंह के बेटों ने जिसका क़त्ल किया है, वह हिस्ट्रीशीटर और पूर्व पार्षद सवाई सिंह था। मदन सिंह की हत्या मामले में सवाई सिंह भी आरोपी था। हालाँकि, बाद में अदालत ने पर्याप्त सबूत न होने के कारण उसे बरी कर दिया था। अब 30 साल बाद सवाई सिंह पर पुष्कर के बांसेली गाँव स्थित एक रिसॉर्ट में हमला किया गया। हमले में सवाई का दोस्त दिनेश तिवाड़ी भी गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। सवाई सिंह पर हमला करने वाले भाइयों में से एक सूर्य प्रताप सिंह को राजस्थान पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। वहीं, दूसरा भाई धर्म प्रताप सिंह फरार बताया जा रहा है।

 

सूर्य प्रताप को घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने ही पकड़कर पुलिस के हवाले किया था। एक चश्मदीद के मुताबिक, सूर्यप्रताप सिंह ने पकड़े जाने के बाद कहा कि, ‘सवाई सिंह ने मेरे पिता को मारा, अब मैंने इसे मार दिया। अगला नंबर राजकुमार जयपाल (कांग्रेस के पूर्व विधायक) का है। बता दें कि राजकुमार जयपाल भी मदन सिंह हत्या मामले में आरोपित बनाए गए थे, लेकिन वे भी कोर्ट से बरी हो गए थे।

 

अजमेर सेक्स कांड और मदन सिंह की हत्या :-

बता दें कि, 1992 में जब अजमेर के एक नामी गिरामी स्कूल, ‘गर्ल्स स्कूल सोफ़िया’ की लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने और उन्हें ब्लैकमेल करने का सिलसिला सा चल पड़ा था, तब साप्ताहिक समाचार पत्र चलाने वाले मदन सिंह ने इस पूरे मामले को पुरजोर तरीके से उठाया था। हालांकि, अजमेर सेक्स कांड में कई बड़े नेता और रसूखदार लोगों का नाम भी शामिल था, इसलिए मदन सिंह को पहले चुप रहने के लिए कई बार धमकाया गया। लेकिन जब मदन सिंह ने इस मुद्दे को उठाना जारी रखा तो गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। श्रीनगर रोड पर मदन सिंह पर हमला हुआ था। हमले में जख्मी होने के बाद उन्हें अजमेर के JLN अस्पताल में एडमिट कराया गया। मगर, अस्पताल के अंदर ही गोली मारकर मदन सिंह की हत्या कर दी गई। मदन सिंह की माँ के बयान के आधार पर कांग्रेस के पूर्व MLA राजकुमार जयपाल, सवाई सिंह, नरेन्द्र सिंह समेत अन्य लाेगाें के खिलाफ हत्या का केस दर्ज हुआ। मगर, 20 वर्षों तक खींचे इस मुक़दमे में 2012 में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया। इसके बाद भी एक बार मदन सिंह के बेटों, सूर्यप्रताप और धर्म प्रताप ने सवाई सिंह और कांग्रेस नेता जयपाल पर फायरिंग की थी, मगर, उस वक़्त दोनों बच गए थे।

 

 

क्या है अजमेर सेक्स कांड :-

 

साल 1992 में अजमेर में 100 से अधिक हिंदू लड़कियों को फँसा कर उनका बलात्कार किया गया था। धोखे से उनकी अश्लील तस्वीरें खींचकर और उन्हें ब्लैकमेल कर उनसे कहा गया कि वे दूसरी लड़कियों को भी फँसा कर उनके पास लाए। इस तरह से यह रेप और ब्लैकमेलिंग की पूरी एक चेन बन चुकी थी। इस मामले में फारुक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती मुख्य आरोपित थे। तीनों ही यूथ कांग्रेस के बड़े नेता थे। फारूक चिश्ती तो उस वक़्त इंडियन यूथ कांग्रेस की अजमेर इकाई का प्रमुख था। वहीं, नफीस चिश्ती कांग्रेस की अजमेर यूनिट का उपाध्यक्ष था। अनवर चिश्ती अजमेर में कांग्रेस का संयुक्त सचिव था। यही नहीं, तीनों ही आरोपित अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिम भी थे। यानी, आरोपितों के पास सियासी और मजहबी, दोनों ही ताकत थी, जिसके चलते कोई भी उनके खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं कर सका। वहीं, बलात्कार का शिकार होने वाली लड़कियां भी आम लड़कियां नहीं थी, इनमे से अधिकतर IAS, IPS जैसे बड़े अधिकारीयों की बेटियां थीं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों को इस बारे में पता तो पहले से था, मगर मामला हिन्दू-मुस्लिम का न हो जाए, इसलिए कोई कदम नहीं उठाया गया।

 

रिपोर्ट बताती हैं कि, आरोपितों ने सबसे पहले एक कारोबारी के बेटे के साथ कुकर्म कर उसकी अश्लील तस्वीर उतारी और उसे अपनी गर्लफ्रेंड को लेकर आने के लिए बाध्य किया। आरोपिओं ने उसकी गर्लफ्रेंड का बलात्कार करने के बाद उसकी अश्लील तस्वीरें उतार लीं और उस लड़की को ब्लैकमेल कर अपनी सहेलियों को लाने को कहा गया। इसके बाद यह सिलसिला सा चल पड़ा। एक के बाद एक लड़की के साथ बलात्कार करना, उनकी नग्न तस्वीरें खींचना, फिर ब्लैकमेल कर उनसे भी अपनी बहन, सहेली, भाभी आदि को लाने के लिए कहना और उन लड़कियों के साथ भी यही घृणित कृत्य करना- इस चेन सिस्टम में 100 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ भी बलात्कार और कई घिनौने कृत्य हुए। ये भी कहा जाता है कि स्कूल की इन बच्चियों के साथ बलात्कार करने में वालों में नेता, सरकारी अधिकारी तक शामिल थे। लेकिन, प्रशासन बस हिन्दू-मुस्लिम की टेंशन को लेकर चुप था।

जिन लड़कियों के बलात्कार हुए और उनकी अश्लील तस्वीरें खींची गई थीं, उनमें से कईयों ने आत्महत्या कर ली। एक ही साथ  6-7 लड़कों ने आत्महत्या कर लीं। क्योंकि उन्हें बचाने के लिए न प्रशासन आगे आ रहा था, न समाज और लोकलाज के डर से उनके परिवार वाले भी चुप थे।  डिप्रेस्ड होकर इन लड़कियों ने मौत को गले लगाना ही उचित समझा। कई महिला संगठनों के प्रयासों के बाद भी लड़कियों के परिवार आगे नहीं आ रहे थे। इस गैंग में शामिल आरोपियों की बड़े-बड़े नेताओं तक पहुँच होने के कारण किसी ने मुंह नहीं खोला। बाद में किसी NGO ने इस मुद्दे को उठाया और फोटोज और वीडियोज के जरिए 30 लड़कियों को पहचाना गया। पीड़िताओं से बात की गई, उन्हें केस दर्ज कराने के लिए कहा गया, मगर सोसाइटी में बदनामी के नाम से कई परिवारों ने इंकार कर दिया। केवल 12 लड़कियां ही केस फाइल करने के लिए राजी हुईं। लेकिन, बाद में धमकियां मिलने पर 10 और लड़कियों ने कदम पीछे खींच लिए।  बाकी बची दो पीड़िताओं ने ही मामले को आगे बढ़ाया और इन लड़कियों ने 16 आरोपियों की पहचान की।

अजमेर सेक्स कांड में कोर्ट ने क्या किया :-

1992 में पूरा स्कैंडल सामने आया, लड़कियों से आरोपियों की शिनाख्त करवाने के बाद 8 को अरेस्ट किया। 1994 में आरोपियों में से एक पुरुषोत्तम नामक शख्स ने जमानत पर छूटने के बाद ख़ुदकुशी कर ली। इसके 6 साल बाद इस मामले में पहला जजमेंट आया, अजमेर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 8 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसी बीच फारूक चिस्ती को मानसिक बीमार बना दिया गया, जिसके चलते उसका ट्रायल पेंडिंग हो गया। बाद में जिला अदालत ने 4 आरोपियों की सजा घटाते हुए उन्हें दस साल की जेल दे दी। कोर्ट से कहा गया कि दस साल जेल की सजा ही पर्याप्त है। लेकिन, सजा घटाए जाने के फैसले को राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। मगर, कोई फायदा नहीं हुआ, याचिका ख़ारिज हो गई। एक अन्य आरोपी सलीम नफीस को अजमेर सेक्स कांड के 19 वर्ष बाद 2012 में पकड़ा गया, लेकिन वो भी जमानत पर छुट कर जेल से बाहर आ गया, इसके बाद से सलीम नफीस की कोई खबर नहीं है। सालों-साल गुजर गए, लेकिन कोई नई खबर नहीं आई कि उन बलात्कारियों का क्या हुआ, कितने नेता रेपिस्ट निकले ? सलीम नफीस कहां है ? चिश्ती परिवार के मुख्य आरोपियों का क्या हुआ ? आज उन दर्जनों बेटियों में से कुछ तो ख़ुदकुशी कर चुकी हैं और कई अपने दिलों में इस डर को दबाकर जीने के लिए बाध्य हैं। ये विडम्बना ही है कि, देश के सबसे बड़े सेक्स कांड, जिसमे कांग्रेस के नेता से लेकर अजमेर दरगाह के कुछ लोग भी शामिल थे, जिसमे 100 से अधिक बच्चियों के शरीर और आत्मा के साथ खिलवाड़ किया गया, उसे दबाने की कई कोशिशें की गईं और सच पर पर्दा डाला गया।

 

 

Akanksha Dubey: भोजपुरी गायक समर सिंह को क्यों किया गया गिरफ्तार

Samar Singh Arrested: गायक समर सिंह गाजियाबाद के नंदग्राम थाना इलाके के राजनगर एक्सटेंशन स्थित चार्म्स क्रिस्टल सोसायटी में छिपा था। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली और उत्तराखंड में लगातार ठिकाने बदल-बदल कर रह रहा था।

 

विस्तार

भोजपुरी अभिनेत्री आकांक्षा सिंह को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी गायक समर सिंह को वाराणसी कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच ने गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है। नंदग्राम थाना इलाके में राज नगर एक्सटेंशन इलाके से समर सिंह को गिरफ्तार किया गया है। अब क्राइम ब्रांच की टीम उसे अदालत में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर वाराणसी लाएगी। मामले के दूसरे आरोपी संजय सिंह की तलाश जारी है।

आपको बता दें कि गायक समर सिंह गाजियाबाद के नंदग्राम थाना इलाके के राजनगर एक्सटेंशन स्थित चार्म्स क्रिस्टल सोसायटी में छिपा था। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली और उत्तराखंड में लगातार ठिकाने बदल-बदल कर रह रहा था।

Bhojpuri एक्ट्रेस आकांक्षा दुबे ने किया Suicide, वाराणसी के होटल में लगाई फांसी Akanksha Dubey Death

भोजपुरी इंडस्ट्री से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। भोजपुरी एक्ट्रेस और मॉडल आकांक्षा दुबे ने आत्महत्या किया है। वाराणसी के एक होटल में उनकी शव बो बरामद किया गया है। होटल के कमरे में उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और इसकी जांच कर रही।

बता दें कि आकांक्षा दुबे भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी बोल्डनेस के लिए मशहूर थी। उनका नाम भोजपुरी की टॉप एक्ट्रेसेस में शुमार था। वह एक फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में वाराणसी आईं थी। यहां वह अपने फिल्म की पूरी टीम के साथ रुकी हुई थीं। वहीं आज रविवार की सुबर जब वह काफी देर तक अपने कमरे से बाहर नहीं आई तो होटल के स्टाफ को शक हुआ और उन्होंने फिल्म यूनिट के लोगों को इस बात की जानकारी दी। वहीं जब दरवाजा तोड़ा गया तो सामने आकांक्षा दुबे फांसी के फंदे पर लटकी हुई मिली।

जौनपुर सपा के दिग्गज नेता संदिग्ध तरीके से हुवे गायब,48 घंटो के बाद भी मिला नही कोई सुराग

रिपोर्ट- इम्तियाज़ नदवी

जौनपुर- समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव शहाबुद्दीन के संदिग्ध तौर पर गायब होने की खबर ने ज़िले एवं प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है,जनपद के खुटहन थाना में शहाबुद्दीन के छोटे भाई शाह आलम ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराते हुवे अनहोनी की आशंका ज़ाहिर की है और शहाबुद्दीन को सकुशल वापस लाने की गुहार लगाई है।

दिये गये प्रार्थना पत्र में शाह आलम ने बताया कि 3 नवम्बर को शहाबुद्दीन अपनी फार्चूनर कार संख्या (UP 65 BF 2100) से ड्राइवर आदिल के साथ जनपद देवरिया थाना सलेमपूर के औरंगाबाद स्थित अपनी ससुराल गये थे जहाँ से दूसरे दिन कुछ निजी काम से देवरिया कचहरी गये और वकील से बात चीत के बाद देवरिया स्टेशन स्थित मस्जिद में जुमा की नमाज़ अदा करने के लिये निकले जिसके बाद से ही उनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ़ हो गया।

शाह आलम मे बताया मोबाइल स्विच ऑफ़ होने के बाद शहाबुद्दीन को तलाश करने की हर कोशिश की गई रिश्तेदारो और करीबियों से पूछा गया लेकिन कहीं कुछ पता न चला,उन्होने कहा कि सपा प्रदेश सचिव राजनिती में काफी सक्रिय रहे हैं इसलिये दूसरी विचारधारा और पार्टियों के समर्थको से उनके मतभेद होते रहते है,ऐसे में उन्हें किसी भी तरह की अनहोनी की आशंका है,वहीं इस मामले में सपा के नेता के साले ने भी जनपद देवरिया की सदर कोतवाली में भी एक रिपोर्ट दर्ज कराई है।

गौर तलब रहे कि शहाबुद्दीन की गिनती राष्ट्रीय उलमा काउंसिल के दिग्गज नेताओं मे होती थी लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ही शहाबुद्दीन ने उलमा काउंसिल छोड़ सपा की साइकल पर सवार हो गये थे,जहाँ उन्हे प्रदेश सचिव की ज़िम्मेदारी दी गई थी,इस तरह अचानक गायब होने से जहाँ परिवार के लोग बेचैन हैं तो वहीं सियासी गलियारों में हडकंप मच गई है।

Mulaayam Singh Yadav Death, 82 Years की उम्र में समाजवादी नेता Mulaayam सिंह Yadav ने ली अंतिम सांस

सपा सरंक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया. वे 82 साल के थे. मुलायम सिंह यादव को यूरिन संक्रमण, ब्लड प्रेशर की समस्या और सांस लेने में तकलीफ के चलते 2 अक्टूबर को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत लगातार नाजुक बनी हुई थी.

सपा सरंक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया. वे 82 साल के थे. मुलायम सिंह यादव को यूरिन संक्रमण, ब्लड प्रेशर की समस्या और सांस लेने में तकलीफ के चलते पिछले दिनों गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत लगातार नाजुक बनी हुई थी.

मुलायम सिंह यादव के भर्ती होने के बाद से अस्पताल में नेताओं के मिलने सिलसिला लगातार जारी था. रविवार को नेताजी का हाल जानने के लिए रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया मेदांता अस्पताल पहुंचे. वहीं इससे पहले आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अस्पताल पहुंचकर अखिलेश यादव से की मुलाकात थी. 

पीएम मोदी ने जाना था हाल 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से बातचीत कर मुलायम सिंह यादव के स्वास्थ्य की जानकारी ली. पीएम मोदी ने अखिलेश यादव को आश्वासन दिया था कि वे हर संभव मदद और सहायता देने के लिए मौजूद हैं. वहीं, राजनाथ सिंह मुलायम सिंह यादव का हालचाल जानने के लिए अस्पताल भी पहुंचे थे. 

मुलायम सिंह यादव 3 बार उत्तर प्रदेश के सीएम रहे.

किसान परिवार में हुआ जन्म

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था. उनके पिता सुघर सिंह यादव एक किसान थे.  मुलायम सिंह यादव मौजूदा वक्त में मुलायम सिंह मैनपुरी सीट से लोकसभा सांसद हैं. उत्तर प्रदेश की राजनीति हो देश की राजनीति, मुलायम सिंह यादव को प्रमुख नेताओं में गिना जाता हैं. वे तीन बार UP के सीएम रहे और वो केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा मुलायम सिंह 8 बार विधायक और 7 बार लोकसभा सांसद भी चुने जा चुके हैं.

मुलायम सिंह यादव ने दो शादियां की थीं. उनकी पहली पत्नी, मालती देवी की मृत्यु मई 2003 में हुई, वह अखिलेश यादव की मां थी. मुलायम ने दूसरी शादी साधना गुप्ता से की. मुलायम सिंह और साधना के बेटे का नाम प्रतीक यादव है. हाल ही में साधना का निधन हो गया था. 

मुलायम सिंह यादव ने 1992 में सपा का गठन किया था.

5 दशक का राजनीतिक करियर

– 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996- 8 बार विधायक रहे. 
– 1977 उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारी और पशुपालन मंत्री रहे. लोकदल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भी रहे. 
– 1980 में जनता दल प्रदेश अध्यक्ष रहे. 
– 1982-85- विधानपरिषद के सदस्य रहे. 
– 1985-87- उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे. 
– 1989-91 में उत्तर प्रदेश के सीएम रहे. 
– 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया.
– 1993-95- उत्तर प्रदेश के सीएम रहे. 
– 1996- सांसद बने
– 1996-98-  रक्षा मंत्री रहे. 
– 1998-99 में दोबारा सांसद चुने गए. 
– 1999 में तीसरी बार सांसद बन कर लोकसभा पहुंचे और सदन में सपा के नेता बने. 
– अगस्त 2003 से मई 2007 में उत्तर प्रदेश के सीएम बने. 
– 2004 में चौथी बार लोकसभा सांसद बने 
– 2007-2009 तक यूपी में विपक्ष के नेता रहे.
– मई 2009 में 5वीं बार सांसद बने. 
– 2014 में 6वीं बार सांसद बने
– 2019 से 7वीं बार सांसद थे

UP का ऐसा गांव जहां होता नहीं रावण वध और पुतला दहन, ब्राह्मण वंश का लोग मानते हैं

जौनपुर के चौबाहां गांव में बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए प्रत्येक वर्ष रामलीला का मंचन तो होता है, लेकिन इस गांव में न तो रावण वध होता है और न ही उसका पुतला दहन करते हैं.

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक ऐसा भी गांव है, जहां पर बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए प्रत्येक वर्ष रामलीला का मंचन तो होता है, लेकिन इस गांव में न तो रावण वध होता है और न ही उसका पुतला दहन करते हैं. चौबाहां गांव के निवासी रावण को ब्राह्मण वंश का मानते हैं. गांव वालों का ऐसा करने का कारण है कि वो रावण को ब्राह्मण का वंश मानते हैं. इसलिए वो रावण का वध और पुतला दहन नहीं करते. चौबाहां गांव के ब्राह्मण भगवान श्री परशुराम को अपना आराध्य मानते हैं और गांव के प्रवेश द्वार पर श्री परशुराम की प्रतिमा भी स्थापित है.

बता दें, चौबाहां गांव में वर्ष 1962 से रामलीला का मंचन होता चला आ रहा है. गांव के ही एक सम्मानित व्यक्ति अर्जुन तिवारी ने गांव में श्री बजरंग रामलीला समिति की शुरुआत की थी. तब से निरंतर गांव में रामलीला का मंचन होता चला आ रहा है, लेकिन गांव वालों की इस तरह की मान्यता के चलते कभी भी रामलीला में रावण वध की लीला का मंचन नहीं हुआ और न ही विजयादशमी के दिन रावण का पुतला जलाया जाता है.

रावण को प्रकांड विद्वान मानते हैं लोग

चौबाहां निवासी पंडित अच्छेलाल तिवारी बताते हैं कि उनके गांव का कोई भी ब्राह्मण पुरोहित का कार्य नहीं करता और न ही किसी की मृत्यु के पश्चात भोज आदि में दान ग्रहण करता है. उनके गांव में 1962 से आजतक कभी भी रावण का पुतला नहीं जलाया गया है. गांव के ही एक युवा समाजसेवी विपिन तिवारी बताते हैं कि पूरे गांव वाले लंकापति रावण के ब्राह्मण कुल का होने के साथ ही साथ प्रकांड विद्वान होना मानते हैं. इसलिए गांव वाले स्वयं ब्राह्मण होकर एक ब्राह्मण और उसकी विद्वत्ता को देखते हुए लंकापति रावण का सम्मान करते हैं.

दूर-दराज से रामलीला देखने आते हैं लोग

हालांकि, विजयादशमी के दिन चौबाहां गांव में रावण का पुतला दहन बेशक नहीं होता, लेकिन गांव में नवरात्रि में बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. मेले को देखने के लिए जौनपुर के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के दूर-दराज से लोग आकर विजयादशमी मेले का लुफ्त लेते हैं.

जेल जाकर भी नहीं डरी रचना सिंह, सरकार को देना पड़ा मुआवजा

कानपुर से अलीगढ तक जीटी रोड चौड़ीकरण के दौरान बिल्हौर
तहसील क्षेत्र के कई गाँवों के मकान सड़क के किनारे थे
जिन्हें बुल्डोजर से धराशाई कर दिया गया था ।
सपा नेत्री और पूर्व विधायक प्रत्याशी रचना सिंह ने
इन गरीबों को सरकार से मुआवजा दिलाने के लिए बड़ा संघर्ष किया

संघर्ष के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था

पर रचना सिंह नए हिम्मत नही हारी अंत में सरकार को इन 500 घरों के लोगों को मुआवजा देना पड़ा।
रचना सिंह के मुताबिक 500 घरों को 90 करोड़ का मुआवजा
परिवारों के खाते मे पहुच गए हैं।
यह सब सपा नेत्री रचना सिंह के अथक प्रयास से संभव हुआ।
रचना सिंह भले ही विधानसभा का चुनाव हार गयी है
लेकिन उन्होंने जनता का साथ नही छोड़ा है
वह अपने क्षेत्र की जनता कीए हर दुःख सुख में हमेशा साथ खड़ी नजर आती रहती हैं।

Raju Shrivastav Death : राजू श्रीवास्तव का निधन Raju Shrivastava ,बड़े बड़े सुपरस्टार का भीड़ लग गया

Raju Shrivastav : अपने कॉमेडी और Funny जोक्स से सबको हंसाने वाले हमारे प्यारे ‘गजोधर भैया’ इस दुनिया में नहीं रहे. हमेशा लोगों को हंसाने और अपनी दुनिया में रंग भरने वाले Raju Shrivastav का 21 सितंबर 2022 को सुबह 10.20 बजे निधन हो गया। करीब 42 दिनों से मौत की जंग लड़ रहे राजू श्रीवास्तव आखिरकार जंग हार गए और सभी को रोते हुए छोड़ गए। कुछ देर में उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया जाएगा।

Raju Shrivastav

58 वर्षीय राजू श्रीवास्तव का दिल्ली के एम्स में इलाज चल रहा था। डॉक्टरों की टीम दिन-रात उनकी निगरानी में थी। Raju Shrivastav का पोस्टमॉर्टम एम्स में ही नई तकनीक से किया गया। इस वर्चुअल ऑटोप्सी में 15 से 20 मिनट का समय लगा। इसके बाद राजू श्रीवास्तव का शव परिवार को सौंप दिया गया। इसके बाद 21 सितंबर 2022 को ही r Raju Shrivastav के पार्थिव शरीर को एम्स से दशरथपुरी ले जाया गया। Raju Shrivastav के भाई का घर दशरथपुरी में है। यहां उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। राजू श्रीवास्तव के अंतिम दर्शन के लिए लोगों का आना-जाना लगा रहता है। Raju Shrivastav का चेहरा देखकर सभी की आंखें नम हो गईं।

अंतिम यात्रा राजू श्रीवास्तव

राजू श्रीवास्तव के परिजन कुछ ही देर में निगमबोध घाट पहुंच रहे हैं। अंतिम दर्शन के बाद Raju Shrivastav की अंतिम यात्रा उनके भाई के घर दशरथपुरी से निकली है। उनके पार्थिव शरीर को Ambulance में रखा गया है, जिसे फूलों से सजाया गया है। इस पर राजू श्रीवास्तव की तस्वीर है। परिवार के लोग साथ हैं।
राजू श्रीवास्तव के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। सबकी आंखें नम हैं। Raju Shrivastav के पार्थिव शरीर को निगमबोध घाट ले जाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में अंतिम संस्कार करने का फैसला Raju Shrivastav के परिवार का था.

राजू को विदाई नहीं दे पाएंगे भाई, काजू

बताया जा रहा है कि राजी श्रीवास्तव के भाई काजू उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाएंगे. काजू श्रीवास्तव इस समय बीमार हैं और कानपुर में हैं। Raju Shrivastav भाई काजू से मिलने दिल्ली आए थे और यहीं रुके थे। वहीं, जिम में वर्कआउट के दौरान राजू श्रीवास्तव की तबीयत बिगड़ गई थी। जिस समय Raju Shrivastav दिल्ली के एम्स में भर्ती थे, वहीं काजू भी एम्स में भर्ती थे।

इबादत और इबादत से काम नहीं चला

राजू श्रीवास्तव को 10 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था। जिम में वर्कआउट के दौरान उनके सीने में अचानक दर्द हुआ और वह जमीन पर गिर पड़े। राजू श्रीवास्तव को बेहोशी की हालत में एम्स ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि राजू श्रीवास्तव को वर्कआउट के दौरान कार्डियक अरेस्ट हुआ था। तब से राजू श्रीवास्तव बेहोश और वेंटिलेटर पर थे। हालांकि, बीच-बीच में उनके शरीर में कुछ हलचल हुई और सुधार की बात सामने आई। लेकिन राजू श्रीवास्तव पूरी तरह से होश में नहीं आ सके। पूजा होने से पहले ही लाखों प्रशंसकों की दुआएं और दुआएं बेकार साबित हुईं.

शोक में फिल्म-टीवी इंडस्ट्री, पीएम मोदी ने भी दी श्रद्धांजलि

राजू श्रीवास्तव के निधन से पूरी फिल्म और टीवी इंडस्ट्री सदमे में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राजू श्रीवास्तव के निधन पर शोक जताया है. अर्चना पूरन सिंह से लेकर कपिल शर्मा, अजय देवगन, अक्षय कुमार, अनुपम खेर, शेखर सुमन तक तमाम हस्तियों ने राजू श्रीवास्तव के जाने को बड़ा नुकसान बताया और शोक जताया. राजू श्रीवास्तव एम्स में भर्ती होने के बाद से राजनाथ सिंह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी पत्नी शिखा श्रीवास्तव के संपर्क में थे। उन्होंने राजू श्रीवास्तव की पत्नी को फोन कर हर संभव मदद का वादा किया था। इतना ही नहीं योगी आदित्यनाथ ने राजू श्रीवास्तव की तबीयत में सुधार न देख यूपी के रेजिडेंट कमिश्नर को कॉमेडियन की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी थी। कुछ हफ़्ते पहले तक सब कुछ ठीक लग रहा था। बेटी अंतरा और परिवार के अन्य सदस्य भी इस बीच अपडेट दे रहे थे कि राजू की हालत स्थिर है।
राजू श्रीवास्तव के भतीजे कुशल श्रीवास्तव ने हमारे सहयोगी ईटाइम्स को बताया कि 20 सितंबर की रात तक सब कुछ ठीक था और उन्हें विश्वास था कि राजू ठीक हो जाएगा। लेकिन अगली सुबह (21 सितंबर) राजू की दूसरी कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि 21 सितंबर की सुबह राजू श्रीवास्तव की अचानक तबीयत बिगड़ गई. उनका रक्तचाप अचानक गिर गया। राजू को तुरंत सीपीआर दिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक पहले तो राजू श्रीवास्तव ने जवाब दिया, लेकिन फिर वह ठीक नहीं हो सके और उन्होंने अंतिम सांस ली. पिछले दो-तीन दिनों से राजू श्रीवास्तव की हालत में सुधार दिख रहा था। जल्द ही उन्हें वेंटिलेटर से हटाना पड़ा। लेकिन इस अवसर के आने से पहले ही राजू श्रीवास्तव ने सबको धोखा देकर इस दुनिया को छोड़ दिया।

कानपुर में पैदा हुए राजू श्रीवास्तव, ऐसी थी ख्वाहिश

कानपुर में जन्मे राजू श्रीवास्तव का असली नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था। फिल्मों में किस्मत आजमाने के लिए राजू 1980 में मुंबई आए थे। यहां आने के बाद उन्होंने काफी संघर्ष किया और उसके बाद उन्हें फिल्मों में छोटे-छोटे रोल मिले। राजू श्रीवास्तव ने ‘मैंने प्यार किया’ से लेकर ‘बाजीगर’ और ‘आमदानी अठानी खरखा रुपैया’ तक कई फिल्में की हैं। उन्होंने सलमान खान से लेकर शाहरुख खान, गोविंदा और रवीना टंडन जैसे सितारों के साथ काम किया। लेकिन राजू श्रीवास्तव को असली पहचान और स्टारडम कॉमेडी शो ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ से मिला। इस शो ने राजू श्रीवास्तव को घर-घर में मशहूर कर दिया।

कॉमेडी को नया आयाम देने वाले और ‘कॉमेडी किंग’ के नाम से मशहूर राजू श्रीवास्तव का बस एक सपना और था जो अधूरा रह गया। राजू श्रीवास्तव ओटीटी प्लेटफॉर्म पर काम करना चाहते थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ प्रोजेक्ट्स को लेकर राजू की बात भी चल रही थी। लेकिन मौत ने सब खत्म कर दिया। अब गजोधर भैया बहुत याद आएंगे।